वास्ते हज़रत मुराद-ए- नेक नाम
इशक़ अपना दे मुझे रब्बुल इनाम
अपनी उलफ़त से अता कर सोज़ -ओ- साज़
अपने इरफ़ां के सिखा राज़ -ओ- नयाज़
फ़ज़ल-ए- रहमान फ़ज़ल तेरा हर घड़ी दरकार है फ़ज़ल-ए- रहमान फ़ज़ल तेरा हो तो बेड़ा पार है
हज़रत
मुहम्मद
मुराद
अली
ख़ां
रहमता अल्लाह अलैहि